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उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

सारभूतमिमं मन्त्रं न देयं यस्य कस्यचित् । गुह्यं सर्वागमेष्वपि हितबुद्ध्या प्रकाशितम् ॥ न तिथिर्न च नक्षत्रं नो उपवासो विधीयते । यथेच्छितं चिन्तयन् मन्त्रः सर्वकामफलप्रदः ॥ -बृहत तंत्रसार भावार्थः इस सार-मंत्र...

उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

सारभूतमिमं मन्त्रं न देयं यस्य कस्यचित् । गुह्यं सर्वागमेष्वपि हितबुद्ध्या प्रकाशितम् ॥ न तिथिर्न च नक्षत्रं नो उपवासो विधीयते । यथेच्छितं चिन्तयन् मन्त्रः सर्वकामफलप्रदः ॥ -बृहत तंत्रसार भावार्थः इस सार-मंत्र...

उच्छिष्ट गणपति

उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

सारभूतमिमं मन्त्रं न देयं यस्य कस्यचित् । गुह्यं सर्वागमेष्वपि हितबुद्ध्या प्रकाशितम् ॥ न तिथिर्न च नक्षत्रं नो उपवासो विधीयते । यथेच्छितं चिन्तयन् मन्त्रः सर्वकामफलप्रदः ॥ -बृहत तंत्रसार भावार्थः इस सार-मंत्र...

उच्छिष्ट गणपति : स्वरूप एवं महत्व

सारभूतमिमं मन्त्रं न देयं यस्य कस्यचित् । गुह्यं सर्वागमेष्वपि हितबुद्ध्या प्रकाशितम् ॥ न तिथिर्न च नक्षत्रं नो उपवासो विधीयते । यथेच्छितं चिन्तयन् मन्त्रः सर्वकामफलप्रदः ॥ -बृहत तंत्रसार भावार्थः इस सार-मंत्र...

उच्छिष्ट गणपति साधना: कब और कैसे?

उच्छिष्ट गणपति साधना: कब और कैसे?

उच्छिष्ट गणपति, भगवान गणेश का एक अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली स्वरूप हैं। वे क्षिप्र सिद्धि दायक (सभी सिद्धियों के शीघ्र प्रदाता) के रूप में पूजे जाते हैं। तांत्रिक साधना में,...

उच्छिष्ट गणपति साधना: कब और कैसे?

उच्छिष्ट गणपति, भगवान गणेश का एक अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली स्वरूप हैं। वे क्षिप्र सिद्धि दायक (सभी सिद्धियों के शीघ्र प्रदाता) के रूप में पूजे जाते हैं। तांत्रिक साधना में,...

पंचाक्षरी

साधना ऐप पर पंचाक्षरी साधना: कब और कैसे?

साधना ऐप पर पंचाक्षरी साधना: कब और कैसे?

साधना अर्थात् स्वयं को साधने की कला। जो व्यक्ति साधना के पथ पर अग्रसर होकर स्वयं को साध लेता है, वह सांसरिक जीवन में स्थिरता को प्राप्त कर लेता है।...

साधना ऐप पर पंचाक्षरी साधना: कब और कैसे?

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शिव पंचाक्षरी साधना क्या है?

शिव पंचाक्षरी साधना क्या है?

इस लेख में आप भगवान शिव की पंचाक्षरी साधना के बारे में जानेंगे । पंचाक्षरी साधना भगवान शिव की आराधना का एक सरल, प्रभावशाली और अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है। यह...

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माँ सिद्धिदात्री

साधना से सिद्धि तक

साधना से सिद्धि तक

माँ सिद्धिदात्री, माँ दुर्गा का नौवां स्वरूप, आध्यात्मिक शक्ति और सिद्धि की प्रतीक हैं। वे हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए विशेष 'सिद्धियाँ' प्रदान करती हैं। उनकी कृपा से...

साधना से सिद्धि तक

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माँ सिद्धिदात्री: उनका दिव्य स्वरूप और साधना

माँ सिद्धिदात्री: उनका दिव्य स्वरूप और साधना

माँ सिद्धिदात्री आत्मबोध और आध्यात्मिक सिद्धि की प्रतीक हैं। उनका शांत और तेजस्वी स्वरूप दिव्य कृपा से आलोकित है, जो देवताओं, ऋषियों और साधकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित...

माँ सिद्धिदात्री: उनका दिव्य स्वरूप और साधना

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माँ महागौरी

माँ महागौरी की साधना से प्राप्त होने वाले आध्यात्मिक और भौतिक लाभ

माँ महागौरी की साधना से प्राप्त होने वाले आध्या...

दुर्गा सप्तशती में स्वयं माँ कहती हैं कि जो भक्त उन्हें प्रतिदिन पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ पूजते हैं, उन्हें वे अनंत आशीर्वाद प्रदान करती हैं। जो साधक उनकी...

माँ महागौरी की साधना से प्राप्त होने वाले आध्या...

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माँ महागौरी – आंतरिक शुद्धता की कृपालु शक्ति

माँ महागौरी – आंतरिक शुद्धता की कृपालु शक्ति

नवदुर्गा साधना का आठवाँ दिन देवी महागौरी को समर्पित होता है। 'महाः' का अर्थ है महान, और 'गौर' का अर्थ है उज्ज्वल एवं गोरा वर्ण। उनके प्राकट्य की कथा देवी...

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मां कालरात्रि

आंतरिक युद्धभूमि: असुरों से यह युद्ध क्या है और यह कहाँ लड़ा जाता है?

आंतरिक युद्धभूमि: असुरों से यह युद्ध क्या है और...

भक्ति संत कबीरदास जी कहते हैं— "बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।" (मैं दूसरों में बुराई खोजता रहा, पर...

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माँ अंबिका और माँ कालरात्रि का उदय

माँ अंबिका और माँ कालरात्रि का उदय

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते —अर्गला स्तोत्रम्, देवी माहात्म्यम् हे देवी माँ!  हम आपके समक्ष विनम्रतापूर्वक नतमस्तक हैं।आप, जो सब पर विजय...

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माँ कात्यायनी

माँ कात्यायनी: दिव्य स्वरूप और अर्थ

माँ कात्यायनी: दिव्य स्वरूप और अर्थ

माँ कात्यायनी के रूप में, देवी माँ उस दिव्य शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसे न देखा जा सकता है और न ही पूरी तरह समझा जा सकता है। वे...

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माँ कात्यायनी और असुर महिषासुर का भीषण संग्राम

माँ कात्यायनी और असुर महिषासुर का भीषण संग्राम

देवी माँ ने पृथ्वी पर ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतार लिया था, इसीलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। एक दिन अपार सौंदर्य की धनी देवी कात्यायनी विंध्याचल पर्वत...

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माँ स्कंदमाता

माँ स्कंदमाता: योद्धा पुत्र की योद्धा माँ

माँ स्कंदमाता: योद्धा पुत्र की योद्धा माँ

शिव और शक्ति का मिलन जब माँ पार्वती ने देवी चंद्रघंटा का शक्तिशाली रूप धारण कर चमगादड़ रूपी राक्षस जटुकासुर का वध किया, तो पूरे राक्षस लोक में हलचल मच...

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माँ स्कन्दमाता का दिव्य तेजस्वी रूप और उनकी साधना के लाभ

माँ स्कन्दमाता का दिव्य तेजस्वी रूप और उनकी साध...

देवी स्कन्दमाता एक स्नेहमयी और रक्षक माता का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनका मातृस्नेह हमें विकास की ओर ले जाता है और हमारी सम्पूर्ण क्षमता को प्रकट करने में सहायक होता...

माँ स्कन्दमाता का दिव्य तेजस्वी रूप और उनकी साध...

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माँ कूष्मांडा

माँ कूष्मांडा: जिनकी दिव्य मुस्कान से सृष्टि का सृजन हुआ

माँ कूष्मांडा: जिनकी दिव्य मुस्कान से सृष्टि का...

यह कथा कल्पांत (एक कल्प के अंत) की है, जब संपूर्ण ब्रह्मांड एक अनंतहीन अंधकारमय शून्य से अधिक कुछ नहीं था। उसी शून्य से एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ, जो...

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माँ कूष्मांडा का तेजस्वी रूप और उनकी साधना के लाभ

माँ कूष्मांडा का तेजस्वी रूप और उनकी साधना के लाभ

माँ कूष्मांडाः नवदुर्गा का चौथा स्वरूप माँ कूष्मांडा, नवदुर्गा का चौथा स्वरूप हैं, जिनकी उपासना नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। जिस प्रकार उनके तेज ने ब्रह्मांड के अंधकार...

माँ कूष्मांडा का तेजस्वी रूप और उनकी साधना के लाभ

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माँ चंद्रघंटा

एक अनुपम विवाह—भगवान शिव और माँ पार्वती का दिव्य मिलन।

एक अनुपम विवाह—भगवान शिव और माँ पार्वती का दिव्...

भगवान शिव की अनोखी बारात इसमें कठोर तप द्वारा भगवान शिव को पुनः प्राप्त करने के बाद, माँ पार्वती अपने पिता राजा हिमवान के महल में लौटीं। अपनी पुत्री को...

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माँ पार्वती से माँ चंद्रघंटा तक—एक दिव्य रूपांतरण

माँ पार्वती से माँ चंद्रघंटा तक—एक दिव्य रूपांतरण

माँ पार्वती ने कैलाश पर्वत की शांत चोटियों पर अपने वैवाहिक जीवन का आरंभ किया। उनके दिन अपार आनंद में व्यतीत हो रहे थे। वे सनातन योगी, भगवान शिव की...

माँ पार्वती से माँ चंद्रघंटा तक—एक दिव्य रूपांतरण

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माँ ब्रह्मचारिणी

समर्पित राजकुमारी और अडिग योगी की अद्भुत कथा

समर्पित राजकुमारी और अडिग योगी की अद्भुत कथा

भगवान शिव की अनवरत तपस्या भगवान ब्रह्मा के वरदान से बलशाली हुआ ताड़कासुर ब्रह्मांडीय संतुलन के लिए एक बड़ा संकट बन गया। उसके अत्याचार बढ़ते गए, जिससे देवता चिंतित हो...

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माँ ब्रह्मचारिणी और कुंडलिनी से संबंध

माँ ब्रह्मचारिणी और कुंडलिनी से संबंध

माँ ब्रह्मचारिणी, नवदुर्गा का दूसरा रूप हैं, और नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी उपासना की जाती है। वे गहन भक्ति और कठोर तपस्या की प्रतीक हैं। देवी ब्रह्मचारिणी यह दर्शाती...

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माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप और उसका अर्थ

माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप और उसका अर्थ

माँ शैलपुत्री कौन हैं?   माँ शैलपुत्री का जन्म हिमालय की धवल, पवित्र पर्वत श्रृंखलाओं में हुआ था। ‘शैलपुत्री’ का अर्थ है — पर्वत की पुत्री, अर्थात पर्वतराज हिमवान की कन्या।...

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सृष्टि का सृजन और शिव-शक्ति का दिव्य मिलन

सृष्टि का सृजन और शिव-शक्ति का दिव्य मिलन

यह कहानी सृष्टि, भक्ति और परिवर्तन की है, समय के आरंभ की और नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप की। सृष्टि के आरंभ में, सृष्टि के रचियता, भगवान ब्रह्मा, ने ब्रह्मांड को...

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सनातन धर्म का सार

कर्म: सनातन धर्म की आत्मा (सनातन धर्म में कर्म का महत्व)

कर्म: सनातन धर्म की आत्मा (सनातन धर्म में कर्म ...

सनातन धर्म में कर्म के सिद्धांत को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह सिद्धांत कहता है कि प्रत्येक कार्य, चाहे वह विचार, वाणी या व्यवहार के माध्यम से किया गया...

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सनातन धर्म : सत्य, धर्म और कर्म का शाश्वत पथ

सनातन धर्म : सत्य, धर्म और कर्म का शाश्वत पथ

एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।" (ऋग्वेद 1.164.46) "सत्य एक ही है, ज्ञानीजन उसे विभिन्न नामों से पुकारते हैं।"ऋग्वेद का यह मंत्र सनातन धर्म के गहन दर्शन को दर्शाता है, जो संसार...

सनातन धर्म : सत्य, धर्म और कर्म का शाश्वत पथ

एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।" (ऋग्वेद 1.164.46) "सत्य एक ही है, ज्ञानीजन उसे विभिन्न नामों से पुकारते हैं।"ऋग्वेद का यह मंत्र सनातन धर्म के गहन दर्शन को दर्शाता है, जो संसार...

कर्म और पुनर्जन्म की भूमिका

कर्म और पुनर्जन्म की भूमिका

कर्म और पुनर्जन्म की भूमिका

सनातन धर्म विश्व की सबसे प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं में से एक है। यह धर्म कर्म (यानी हमारे कार्य और उनके परिणाम) तथा पुनर्जन्म (जन्म और पुनर्जन्म का चक्र, जिसे 'संसार'...

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चार पुरुषार्थ : मानव जीवन के चार प्रमुख स्तंभ

चार पुरुषार्थ : मानव जीवन के चार प्रमुख स्तंभ

चार पुरुषार्थ : मानव जीवन के चार प्रमुख स्तंभ

सनातन धर्म वह अनंत धारा है, जो सृष्टि के आदि से प्रवाहित होती आ रही है और आदिकाल से मानवजाति को जीवन के शाश्वत मूल्यों की सीख दे पढ़ा रहा...

चार पुरुषार्थ : मानव जीवन के चार प्रमुख स्तंभ

सनातन धर्म वह अनंत धारा है, जो सृष्टि के आदि से प्रवाहित होती आ रही है और आदिकाल से मानवजाति को जीवन के शाश्वत मूल्यों की सीख दे पढ़ा रहा...

वेदों और उपनिषदों का महत्व

वेदों और उपनिषदों का महत्व

वेदों और उपनिषदों का महत्व

प्राचीन सनातन धर्म शास्त्रों में ऐसे अनेक राजाओं और ऋषियों की जीवन गाथाओं का उल्लेख किया गया हैं, जिन्होंने वैदिक ज्ञान में लीन होकर आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त किया।...

वेदों और उपनिषदों का महत्व

प्राचीन सनातन धर्म शास्त्रों में ऐसे अनेक राजाओं और ऋषियों की जीवन गाथाओं का उल्लेख किया गया हैं, जिन्होंने वैदिक ज्ञान में लीन होकर आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त किया।...

उपनिषद – सनातन धर्म का आध्यात्मिक आधार

उपनिषद – सनातन धर्म का आध्यात्मिक आधार

उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं, इसलिए इन्हें 'वेदांत' कहा जाता है, जो वेदों की अंतिम दार्शनिक शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें वेदों का सार निहित होता है। उपनिषदों...

उपनिषद – सनातन धर्म का आध्यात्मिक आधार

उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं, इसलिए इन्हें 'वेदांत' कहा जाता है, जो वेदों की अंतिम दार्शनिक शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें वेदों का सार निहित होता है। उपनिषदों...

विष्णु अष्टाक्षरी साधना

विष्णु अष्टाक्षरी साधना

विष्णु अष्टाक्षरी साधना

क्या आप भगवान विष्णु के साथ गहन संबंध स्थापित करने के लिए तैयार हैं? 🌼 साधना कैसे करें? 🌼 24 अप्रैल 2025 को "वैकुण्ठ" पर क्लिक करें। साधना विकल्प चुनें,...

विष्णु अष्टाक्षरी साधना

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श्रीसूक्तम् साधना

श्रीसूक्तम् क्या है?

श्रीसूक्तम् क्या है?

'यद्यपि इसका सबसे सामान्य उपयोग एक भक्तिमय वेदिक मंत्र के रूप में होता है, वास्तव में श्रीसूक्तम् किसी के भाग्य को पलटने की क्षमता रखता है। वास्तव में, यदि अन्य...

श्रीसूक्तम् क्या है?

'यद्यपि इसका सबसे सामान्य उपयोग एक भक्तिमय वेदिक मंत्र के रूप में होता है, वास्तव में श्रीसूक्तम् किसी के भाग्य को पलटने की क्षमता रखता है। वास्तव में, यदि अन्य...

श्रीसूक्तम् साधना क्या है?

श्रीसूक्तम् साधना क्या है?

यदि आप एक उत्साही श्री विद्या आकांक्षी हैं, तो श्रीसूक्तम् साधना आपके मार्ग पर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उन लोगों के लिए आदर्श है जो वेदिक मार्ग का अन्वेषण...

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रुद्राभिषेक

श्री रुद्रम् क्या है?

श्री रुद्रम् क्या है?

इस लेख में आपको श्री रुद्रम् क्या है, इस संबंध में विस्तार से जानने को मिलेगा। 'नमः शिवाय'—इस मंत्र से वे लोग भी भलीभांति परिचित हैं जो मंत्र साधना सीखने...

2 comments

श्री रुद्रम् क्या है?

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श्री रुद्रम् का महत्व

श्री रुद्रम् का महत्व

इस लेख में आपको श्री रुद्रम् के जप और अभिषेक का महत्व क्या है, इस संबंध में विस्तार से जानने को मिलेगा। वेद एक गुणं जप्त्वा तदःनैव विशुद्ध्यति।   रुद्रैक दशिनीं जप्त्वा...

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श्री रुद्रम् का महत्व

इस लेख में आपको श्री रुद्रम् के जप और अभिषेक का महत्व क्या है, इस संबंध में विस्तार से जानने को मिलेगा। वेद एक गुणं जप्त्वा तदःनैव विशुद्ध्यति।   रुद्रैक दशिनीं जप्त्वा...

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ललिता सहस्रनाम यज्ञ

श्री ललिता सहस्रनाम क्या है?

श्री ललिता सहस्रनाम क्या है?

इस लेख में आप देवी माँ के सबसे महान और शक्तिशाली स्तोत्र के बारे में जानेंगे । सहस्रनाम—एक शाश्वत परंपरा  कई हजारों वर्षों से अधिकाँश भारतीय घरों में सुबह की...

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श्री ललिता सहस्रनाम क्या है?

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कौन है माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी ?

कौन है माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी ?

इस लेख में आप माँ ललिता त्रिपुरा सुंदरी के बारे में जानेंगे, जो श्री विद्या तंत्र की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं ।  ईश्वर के कई दिव्य स्वरूप हैं। इनमें सबसे...

कौन है माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी ?

इस लेख में आप माँ ललिता त्रिपुरा सुंदरी के बारे में जानेंगे, जो श्री विद्या तंत्र की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं ।  ईश्वर के कई दिव्य स्वरूप हैं। इनमें सबसे...

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