माँ ब्रह्मचारिणी और कुंडलिनी से संबंध

माँ ब्रह्मचारिणी और कुंडलिनी से संबंध

माँ ब्रह्मचारिणी, नवदुर्गा का दूसरा रूप हैं, और नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी उपासना की जाती है। वे गहन भक्ति और कठोर तपस्या की प्रतीक हैं। देवी ब्रह्मचारिणी यह दर्शाती हैं कि ईश्वर से एकत्व प्राप्त करने के लिए अनुशासन और समर्पण आवश्यक है। उन्हें वैदिक मंत्रों द्वारा स्वाधिष्ठान चक्र में आवाहन किया जाता है। यह ऊर्जा केंद्र रचनात्मकता और भावनाओं से जुड़ा हुआ है। माँ ब्रह्मचारिणी जल तत्व की अधिष्ठात्री देवी हैं, उनके बाएँ हाथ में कमंडल (जलपात्र) होता है, जो सरलता और वैराग्य का प्रतीक है। एकाग्र भक्ति के साथ उनका मंत्र जपने से साधकों, यहाँ तक कि सिद्ध योगियों को भी,  दिव्य कृपा, आत्म-अनुशासन, त्याग की भावना और सांसारिक आसक्तियों से मुक्ति प्राप्त होती है।

माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना माँ शैलपुत्री (नवदुर्गा के प्रथम रूप) की आराधना के अगले दिन होती है। जहाँ देवी शैलपुत्री मूलाधार चक्र में सुप्त ऊर्जा (कुंडलिनी) को जाग्रत करती हैं और हमारे ध्यान को भगवान शिव पर केंद्रित करती हैं, वहीं माँ ब्रह्मचारिणी उस ऊर्जा को ऊर्ध्वगामी बनाती हैं। वे हमें भक्ति और परिश्रम के माध्यम से उच्च आध्यात्मिक लक्ष्यों की ओर मार्गदर्शन देती हैं। उनकी प्रेरणा हमें साधना और स्वाध्याय (शास्त्रों के ज्ञान) की दिशा में अगला कदम उठाने की नींव प्रदान करती है।

 

उनके नाम का महत्व

‘ब्रह्म’ शब्द परम दिव्यता का सूचक है, जबकि ‘चारिणी’ शब्द का अर्थ है, वह स्त्री जो किसी के साथ चलती है, उसमें विचरण करती है, या उसकी ओर अग्रसर होती है। इस प्रकार, माँ ब्रह्मचारिणी का अर्थ है — "वे जो परमात्मा के साथ चलती हैं, परमात्मा की ओर अग्रसर होती हैं, और सदा परम तत्व के साथ एकत्व में स्थित रहती हैं।

 

माँ ब्रह्मचारिणी का तांत्रिक आवाहन

तांत्रिक परंपरा में माँ ब्रह्मचारिणी का महातंत्री, विजया, और चामुंडा के रूप में आवाहन किया जाता है। तांत्रिक आवाहन में उन्हें 'वाग्वादिनी' कहा जाता है, अर्थात् वे देवी जो वाणी और ज्ञान की प्रेरणा देती हैं। वे साधकों को परम ज्ञान, शांत व स्थिर चित्त, और जागरूक वाणी का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी को अपनी जिह्वा पर एक पवित्र आसन अर्पित करें और श्रद्धा से उनका मंत्र जपें। उनका आशीर्वाद आपके विचारों, कार्यों और शब्दों का मार्गदर्शन करता है और उन्हें दिव्य इच्छा के साथ जोड़ता है। देवी ब्रह्मचारिणी की कृपा आप पर बरसे और माँ आपके हृदय को पवित्रता, आत्म-अनुशासन और असीम ज्ञान से भर दें।

ॐ माँ ब्रह्मचारिण्यै नमः!

 

नवदुर्गा साधना

शक्तिशाली नवदुर्गा साधना में, माँ ब्रह्मचारिणी का आवाहन नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप के रूप में किया जाता है। संस्कृत में 'दुर्ग' का अर्थ है "किला"। जो भी उनकी शरण में आता है, वह उनकी कृपा और सुरक्षा के इस अद्वितीय किले से सदा सुरक्षित रहता है। माँ ब्रह्मचारिणी साधकों के लिए ऐसा किला बन जाती हैं, जो उन्हें कभी निराश नहीं करती।  यदि आप नव दुर्गा साधना आरंभ करना चाहते हैं, तो साधना ऐप के माध्यम से आप इसे कर सकते हैं।  

नव दुर्गा साधना शुरू करने के लिए:

✅ साधना ऐप डाउनलोड करें।
100% मुफ्त। कोई छिपी हुई सदस्यता नहीं! कोई परेशान करने वाले विज्ञापन नहीं। सभी सुविधाएँ अनलॉक और उपलब्ध।
✅ 26 जून 2025 को शेर के आइकन पर क्लिक करें और सभी विवरण जानें।
✅ ऐप में दिए गए दिन-प्रतिदिन के निर्देशों का पालन करें।
✅ 26 जून को पहला जप करके अपनी साधना शुरू करें और 27 जून को पहला यज्ञ करें।
✅ हर दिन का मंत्र प्रतिदिन अपडेट किया जाएगा।

✅ अगले दस दिनों तक (26 जून से 5 जुलाई ) , हर शाम देवी जप और हर सुबह यज्ञ करें। 

हर दिन, आप उस दिन की देवी (नवदुर्गा) के स्वरूप का प्रातः यज्ञ और सांध्यकालीन मंत्र जप के माध्यम से आराधना करेंगे। सभी अनुष्ठान पूर्णतः निर्देशित हैं। माँ भगवती के प्रेम और आशीर्वाद को पाने के इस अनुपम अवसर का लाभ अवश्य लें। 

साधना से संभव है!

Back to blog

Comments

No comments yet. Be the first to share your thoughts.

Leave a comment

Do NavDurga Sadhana

Worship the 9 nine forms of Devi through the secret and powerful NavDurga Sadhana.