
श्रीसूक्तम् साधना क्या है?
यदि आप एक उत्साही श्री विद्या साधक हैं, तो श्रीसूक्तम् साधना आपकी आध्यात्मिक यात्रा का एक आवश्यक चरण है। यह उन साधकों के लिए उपयुक्त है जो वैदिक मार्ग का अन्वेषण करना चाहते हैं और अपने जीवन में मंत्रों के गहन प्रभाव को अनुभव करना चाहते हैं। श्रीसूक्तम् साधना के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक क्षमता को उजागर करें।
श्रीसूक्तम् की उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है; साथ ही यह श्री विद्या का एक प्रमुख ग्रंथ भी है, जो माँ देवी की उपासना के लिए समर्पित हिंदू तांत्रिक परंपरा है। इस प्रकार, यह वैदिक और तांत्रिक परंपराओं का अद्वितीय संगम है।
श्रीसूक्तम् साधना आपकी ऊर्जा को ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ संरेखित करती है और भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक दरिद्रता को दूर करने में सहायक है। दरिद्रता केवल धन या संपत्ति की कमी की नहीं होती है; यह अनेक रूपों में हमारे जीवन को प्रभावित करती है। आत्म-संदेह, क्रोध, रोष, शरीर और मन की दुर्बलता, असहायता और अन्य नकारात्मक भावनाओं से संघर्ष करते हुए हम आंतरिक दरिद्रता का सामना करते हैं। शक्तिशाली श्रीसूक्तम् साधना इस आंतरिक दरिद्रता का नाश करती है और जीवन में पूर्णता एवं समृद्धि का अनुभव कराती है।
पंचरात्र ग्रन्थों में, जो श्री विष्णु और माँ लक्ष्मी के सात्त्विक—सद्गुण—रूप को समर्पित हैं, श्रीसूक्तम् का प्रयोग भगवान विष्णु की ऊर्जा को जागृत करने के लिए किया जाता है, जो स्वयं देवी माँ हैं। श्रीसूक्तम् की प्रत्येक ऋचा में अनेक मंत्र निहित है, और प्रत्येक मंत्र एक शक्तिशाली आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में कार्य करता है।
पारंपरिक रूप से, विस्तृत श्रीसूक्तम् साधना करने के लिए एक साधक को 960 दिनों तक कठोर दिनचर्या (नित्यकर्म) का पालन करना होता है। इसके बाद ही वह श्रीसूक्तम् का 16-दिवसीय पुरुषचरण (लक्षित साधना) कर सकता है।
यद्यपि, ओम स्वामी जी ने श्रीसूक्तम् साधना की प्रक्रिया को सरल बना दिया है। वे एक जागृत आध्यात्मिक गुरु हैं, जिनके पास ध्यान और साधना, विशेष रूप से श्री विद्या, का व्यापक अनुभव है। उन्होंने श्रीसूक्तम् साधना को सरल और अधिक प्रभावशाली बनाया है, जिससे अधिक लोग इसके शक्तिशाली लाभों का अनुभव कर सकें।
स्वयं गुरू के मार्गदर्शन में इस साधना का अभ्यास करना, इससे अधिक प्रभावशाली और परिवर्तनकारी क्या हो सकता है? दिवाली श्रीसूक्तम् साधना आरंभ करने का अत्यंत पावन समय है। इस दिवाली, 20 अक्टूबर 2025 से 5 नवम्बर 2025 तक, 17 दिवसीय श्रीसूक्तम् साधना का पालन करें। इन 17 दिनों के दौरान, आप प्रातःकालीन यज्ञ ओम स्वामी जी के मार्गदर्शन में करेंगे।

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Ijust recite it daily but with the grace of MaaI will be able to understand it 🙏Thanks
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