कौन है माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी ?
इस लेख में आप माँ ललिता त्रिपुरा सुंदरी के बारे में जानेंगे, जो श्री विद्या तंत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं ।
ईश्वर के कई दिव्य स्वरूप हैं। इनमें सबसे सहज स्वरूप है माँ का। देवी की माँ के रूप में उपासना करना अत्यंत सरल है। जिस तरह माँ अपने बच्चे का लालन-पालन करती है, उसी तरह देवी भी अपने भक्तों को शरण देती हैं और सदैव उन पर प्रेम बरसाती हैं।
श्री विद्या का मार्ग
माँ ललिता त्रिपुर सुंदरी, आद्य शक्ति के प्रमुख रूपों में से एक हैं। वे 'श्री माता' हैं, संपूर्ण ब्रह्मांड की जननी हैं। श्री विद्या परंपरा (शाक्त संप्रदाय ) में उन्हें साक्षात परम ब्रह्म माना गया है। दस महाविद्याओं में माँ ललिता ‘षोडशी’ कहलाती हैं। उनके और भी कई नाम हैं, जैसे राजराजेश्वरी (समस्त सृष्टि की महारानी) तथा महादेवी इत्यादि। श्री विद्या तंत्र में माँ ललिता की उपासना तीन प्रमुख रूपों में की जाती है: पहली, स्थूल रूप में, जो माँ का देदीप्यमान (उज्जवल) रूप है; दूसरी, सूक्ष्म रूप में (श्री विद्या मंत्र के द्वारा); तीसरी, श्रीचक्र में परम स्वरूप में । ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् में माँ के इन सभी स्वरूपों का बहुत सुंदर उल्लेख मिलता है।
माँ के अद्भुत स्वरूप और नामों में निहित रहस्य
जैसा कि उनका नाम दर्शाता है, ललिता अर्थात् , "क्रीड़ा करने वाली" यानी जो लीला करती हैं। सृष्टि की रचना, पालन, और संहार उनकी दिव्य लीला का ही हिस्सा है। माँ के सुंदर, दयालु और मंगलकारी (श्री) स्वरूप से साधक बेहद सरलता से जुड़ जाते हैं।

माँ के चार हाथ हैं। उन्होंने अपने चार हाथों में एक पाश, अंकुश (गदा), गन्ने का धनुष और पाँच पुष्प-बाण धारण कर रखे हैं। ये पाँच बाण हमारी पाँच इंद्रियों का प्रतीक हैं, और इन्हें छोड़ने वाला धनुष हमारे मन को दर्शाता है। आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले सुख और दुःख के क्षणों में आसानी से भटक सकते हैं, पर माँ ललिता अपने अंकुश से उन्हें धीरे-धीरे पुनः आध्यात्म के मार्ग पर वापस ले आती हैं। इसी प्रकार, उनके बाएँ हाथ में प्रेम और करुणा का पाश है, जिससे वे कर्म पथ से विचलित अपने बच्चों को अपनी ओर पुनः आकर्षित कर उन्हें सन्मार्ग पर बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
अपने सर्वोच्च रूप में माँ श्रीचक्र के केंद्र बिंदु में निवास करती हैं। ‘त्रिपुरा’ तीन लोकों का द्योतक (सूचक) है, जिन पर माँ स्वयं शासन करती हैं। त्रिपुरा उपनिषद में उन्हें परम आदिशक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जो त्रिदेव अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु और शिव से भी ऊपर हैं।
रचनात्मकता का स्रोत
माँ ललिता इस सकल ब्रह्मांड की सृजनात्मक शक्ति हैं। वे हम सभी के भीतर कुण्डलिनी ऊर्जा के रूप में विद्यमान हैं। जब यह शक्ति जागृत होती है, तो हम अपने भीतर असीम ऊर्जा का अनुभव करते हैं, जो रचनात्मकता के अंसख्य द्वार खोल देती है। श्री ललिता सहस्रनाम माँ के सुंदर नाम हैं “चिदग्निकुण्डसंभूता देवकार्यसमुद्यता”(श्री ललिता सहस्रनाम, श्लोक 1.2), अर्थात् वे पवित्र विचारों की अग्नि से उत्पन्न हुई हैं और श्रेष्ठ कार्यों को पूर्ण करने के लिए प्रकट हुई हैं।
हिमालयी तपस्वी ओम स्वामी जी बताते हैं कि देवी माँ, जो सम्पूर्ण सृष्टि का मूल स्रोत हैं, वही समस्त सृजनशीलता का भी आधार हैं। वे ही वह अग्नि प्रज्वलित करती हैं, जो हमें सभी श्रेष्ठ और पुण्य कार्यों को पूरा करने की शक्ति प्रदान करती है।
ललिता सहस्रनाम साधना —एक दुर्लभ अवसर!
शरद नवरात्रि का पाँचवाँ दिन ललिता पंचमी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इसी दिन माँ ललिता प्रकट हुईं और कामदेव (प्रेम एवं काम के देवता) की भस्म से उत्पन्न असुर भांडासुर का वध किया।
आगामी ललिता पंचमी (26 सितम्बर 2025) माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी का सहस्र शक्तिशाली नामों से आवाहन करने का अत्यंत शुभ अवसर है। माँ अपने भक्तों को समृद्धि, आंतरिक शांति और आनंद का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
इस शारदीय नवरात्रि में, साधना ऐप पर पहली बार आयोजित ललिता सहस्रनाम साधना (26 सितम्बर 2025 – 15 नवम्बर 2025) में आप सम्मिलित हो सकते हैं। इस साधना से जुड़ें और माँ ललिताम्बिका की दिव्य कृपा प्राप्त करें। यदि पूर्ण साधना करना संभव न हो, तो कोई समस्या नहीं। आप ललिता पंचमी पर ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् का जप कर सकते हैं या उसका श्रवण कर सकते हैं।
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श्री मात्रे नमः!
Comments
Maa Lalita tripur Sundari ji ki Sadhna
Ek apne aap me alag hi Sadhna h esa lagta h sabhi sadhnao ka mul yahi he maa ki sadhna ek alag hi duniya me le jati he shabdo se nahi bata sakte har kisi ko jeevan me ek bar maa ki sadhna karni chahiye maa har bhakto par kripa jarur karti he swami ji ki kripa se hi yah sab sambhav hota he 🪷 Sri matre namah 🪷
I want to learn how to perform sadhana
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