ललिता सहस्रनाम का महत्व
ललिता सहस्रनाम माँ ललिता के एक हजार नामों का संग्रह है। हर नाम माँ के गुणों और उनकी महिमा को दर्शाता है। इस लेख में आप ललिता सहस्रनाम के उद्देश्य और महत्व को जानेंगे ।
आपने अनुभव किया होगा की बालक की प्रेम और करुणापूर्ण पुकार को माँ अवश्य सुनती है । यदि माँ को आभास हो जाये की उसका बच्चा किसी पीड़ा में है, तो सभी कर्म त्याग कर वह बालक की ओर दौड़ पड़ती है। इसी प्रकार जब कोई साधक पूर्ण विश्वास, आस्था और प्रेमभाव के साथ देवी माँ को पुकारता है, तो वह प्रार्थना उन तक निश्चित ही पहुँचती है । ललिता सहस्रनाम, देवी माँ को प्रेम व भक्ति से पुकारे गये नामों का अद्वितीय संग्रह हैं। हर नाम माँ के साकार स्वरूप की कल्पना करने में सहायक है।
‘’ललिता सहस्रनाम’’ ब्रह्मांड पुराण का अंश है। ब्रह्मांड पुराण में श्री विष्णु के एक रूप, भगवान हयग्रीव, और महामुनि अगस्त्य के संवाद के रूप में इसका उल्लेख मिलता है। इस स्तोत्रम् में संपूर्ण सृष्टि, सकल ब्रह्मांड और श्री विद्या तंत्र के असंख्य गोपनीय रहस्य समाहित हैं। ललिता सहस्रनाम के जप और यज्ञ के माध्यम से व्यक्ति को ध्यान, साधना, आध्यात्म, और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है।
माँ ललिता के दिव्य स्वरूप का अद्भुत वर्णन
ललिता सहस्रनाम में माँ के स्वरूप का अद्भुत वर्णन किया गया है। यह एक साधक को माँ के सुंदर साकार स्वरूप से निराकार स्वरूप का ध्यान करने में सहायक होता है। उदाहरण के लिए, इस स्तोत्रम् का आरंभ ध्यान श्लोक से होता है, जो माँ ललिता के दिव्य स्वरूप का सजीव वर्णन करता है:
'सिन्दूरारुणविग्रहां त्रिनयनां माणिक्यमौलिस्फुरत्'
वाग्देवियाँ हमें बताती हैं कि माँ ललिता का शरीर सिंदूर के समान लाल आभा से सुशोभित है (सिन्दूरारुणविग्रहां)। उनके तीन नेत्र हैं (त्रिनयनां ), और उन्होंने अपने मस्तक पर माणिक्यों और रत्नों से जड़ित मुकुट धारण कर रखा है, जो चंद्रमा के आभामंडल से सुशोभित है। ललिता सहस्रनाम का नियमित पाठ करने से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-जागृति के पथ पर आगे बढ़ने में सहायता मिलती है। जिस साधक ने माँ के साकार स्वरूप से निराकार स्वरूप की यात्रा को पूर्ण कर लिया, वह स्वयं को ऊर्जावान अनुभव करने लगता है। उसके मन में सकारात्मक विचारों का सतत प्रवाह होने लगता है और भय समाप्त हो जाता है।
माँ का हर नाम एक मंत्र
ललिता सहस्रनाम में माँ का हर नाम एक मंत्र है। पवित्र भावों के साथ माँ के नामों की स्तुति करने मात्र से ही साधक का अंतःकरण पूर्ण रूप से शुद्ध हो जाता है और उसे अपने भीतर दिव्य ऊर्जा का अनुभव होता है। माँ के ये नाम एक साधक को माँ के साथ गहन आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करते है। इनके जप से साधक आत्म-साक्षात्कार के पथ पर अग्रसर होता है। ललिता सहस्रनाम के उच्चारण मात्र से मन को शांति मिलती है, और जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है।

कुंडलिनी जागरण में महत्वपूर्ण
हिमालयी तपस्वी ओम स्वामी जी ने अपनी पुस्तक "कुंडलिनी- एक अनकही कथा" में विस्तार से बताया है कि ललिता सहस्रनाम का ज्ञान ही कुंडलिनी को समझने का आधार है। ललिता सहस्रनाम के ज्ञान के बिना कुंडलिनी जागरण संभव नहीं है। ओम स्वामी के अनुसार, माँ ललिता स्वयं कुंडलिनी हैं, जो हमारी आंतरिक एवं बाह्य चेतना का प्रमुख स्रोत हैं। ललिता सहस्रनाम का नियमित पाठ साधक को अपने भीतर की ग्रंथियों (ब्रह्म, विष्णु, और रुद्र ग्रंथियों) को भेदने में सहायक होता है। ये ग्रंथियाँ कुंडलिनी ऊर्जा को सहस्रार चक्र तक पहुँचाने में बाधा उत्पन्न करती हैं।
-‘श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् में कुल 182 ऋचायें हैं, जिनमें से पंद्रह चक्रों से संबंध रखती हैं। इनमें साधना, गुप्त पक्ष, चक्रों की प्रवृत्ति, उनके रूप, रंग तथा वर्णों के बारे में बताया गया है। स्तोत्रम् के प्रथम तीन ऋचायें अपने आप में पूर्ण हैं। उनमें केवल यही बताया गया है कि तीन ग्रंथियों को भेदने के बाद, कुंडलिनी कैसे जागृत होती है। इसके बाद चक्रों के संबंध में बात की गई है।’
(-ओम स्वामी, कुंडलिनीः एन अनटोल्ड स्टोरी, जाईको पब्लिकेशन 2016, पेज नं. 50-51)
ललिता सहस्रनाम साधना —एक दुर्लभ अवसर!
ललिता सहस्रनाम का ज्ञान गुरु-शिष्य परम्परा के द्वारा प्रदान किया जाता है। किंतु इस शरद नवरात्रि में, आपके पास पहली बार साधना ऐप पर आयोजित की जा रही ललिता सहस्रनाम साधना (26 सितम्बर 2025 – 15 नवम्बर 2025) में सम्मिलित होने का स्वर्णिम अवसर है।
ललिता पंचमी (26 सितम्बर 2025) माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी का उनके सहस्र शक्तिशाली नामों से ललिता सहस्रनाम के माध्यम से आवाहन करने का एक अत्यंत शुभ अवसर है। वे अपने भक्तों को समृद्धि, आंतरिक शांति और आनंद का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
इस साधना में सम्मिलित हों और माँ ललिताम्बिका की दिव्य कृपा प्राप्त करें। यदि पूर्ण साधना करना संभव न हो, तो कोई समस्या नहीं है। आप ललिता पंचमी पर ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् का जप कर सकते हैं या उसका श्रवण कर सकते हैं।
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श्री मात्रे नमः!
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