सनातन धर्म : सत्य, धर्म और कर्म का शाश्वत पथ
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति।"
(ऋग्वेद 1.164.46)
"सत्य एक ही है, ज्ञानीजन उसे विभिन्न नामों से पुकारते हैं।"
ऋग्वेद का यह मंत्र सनातन धर्म के गहन दर्शन को दर्शाता है, जो संसार का सबसे प्राचीन धर्म है। सनातन धर्म हमें सिखाता है कि सत्य एक है, परंतु उसकी प्राप्ति के मार्ग विविध हो सकते हैं। सनातन धर्म भौगोलिक सीमाओं से परे है। यह किसी एक पंथ, व्यक्ति या ग्रंथ में सीमित नहीं है, अपितु सार्वभौमिक है। अन्य धार्मिक परंपराओं के विपरीत, सनातन धर्म की स्थापना किसी एक पैगंबर ने नहीं की है और यह किसी एक ग्रंथ तक सीमित नहीं है। यह स्वयं को जानने और संसार के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने में सहायक आध्यात्मिक अभ्यासों, दर्शन और सिद्धांतों की एक विस्तृत प्रणाली है।
सनातन धर्म का अर्थ
सनातन’ का अर्थ है ‘शाश्वत’, और ‘धर्म’ वह शाश्वत नियम है जो संपूर्ण ब्रह्मांड की संरचना और गति को संचालित करता है। सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ या अनुष्ठानों की परंपरा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी जीवन-पद्धति है, जो सत्य, धर्म, अहिंसा, करुणा, सेवा और भक्ति जैसे मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। यह धर्म मनुष्य को आत्मा की स्वतंत्र यात्रा के माध्यम से, स्वयं के भीतर बसे परम सत्य की खोज करने हेतु मार्गदर्शन प्रदान करता है।
सनातन धर्म के दो मूल तत्व हैं — सत्य (सत्यनिष्ठ जीवन) और धर्म (कर्तव्यपरायणता)। जब मनुष्य इन दोनों तत्वों को अपने आचरण में धारण कर लेता है, तो वह स्वभावतः धर्मपरायण और कल्याणकारी बन जाता है। सत्य और धर्म का अनुसरण करते हुए ही व्यक्तिगत, सामाजिक तथा आध्यात्मिक जीवन को सार्थक और समृद्ध बनाया जा सकता है।
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Sar sakar aor nirakar me fark bataye kya muslim hindu daram me se kisi ek ko allah mante he jo aapne sanatan daram me nirakar he us hiraman ko iska jabap dijiye
Sar sakar aor nirakar me fark bataye kya muslim hindu daram me se kisi ek ko allah mante he jo aapne sanatan daram me nirakar he us hiraman ko iska jabap dijiye
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