माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप और उसका अर्थ

माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप और उसका अर्थ

माँ शैलपुत्री कौन हैं?  

माँ शैलपुत्री का जन्म हिमालय की धवल, पवित्र पर्वत श्रृंखलाओं में हुआ था। ‘शैलपुत्री’ का अर्थ है — पर्वत की पुत्री, अर्थात पर्वतराज हिमवान की कन्या। पर्वतराज की पुत्री के रूप में उन्हें पार्वती भी कहा जाता है।
हिमालय की स्वर्णिम चोटियों में जन्म लेने के कारण उन्हें हेमवती (स्वर्णमयी) और भवानी (भव के अर्द्धांगिनी, जहाँ "भव" भगवान शिव का एक नाम है) के नाम से भी जाना जाता है।

माँ शैलपुत्री के दिव्य स्वरूप का ध्यान

माँ शैलपुत्री का ध्यान एक अत्यंत शक्तिशाली आध्यात्मिक साधना है। उनके दिव्य रूप की कल्पना करते समय निम्न पहलुओं पर केंद्रित होकर ध्यान करें:

  • नंदी पर विराजितः वे दिव्य आभा से युक्त एक तेजस्विनी देवी हैं, जो नंदी नामक भव्य वृषभ पर विराजमान हैं।
  • श्वेत वस्त्रों में सुशोभित: वे एक श्वेत साड़ी धारण करती हैं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक है, जिसमें हल्की गुलाबी आभा उनकी असीम प्रेम भावना को दर्शाती है।
  • पवित्र प्रतीक हाथों में धारण किए हुए:

-उनके दाएँ हाथ में त्रिशूल है, जो शक्ति, सुरक्षा और सृष्टि, पालन एवं संहार के संतुलन का प्रतीक है।
-बाएँ हाथ में कमल, जो आध्यात्मिक जागरण और दिव्य सौंदर्य का प्रतीक है।

  • माथे पर अर्द्धचंद्र: यह दिव्य ज्ञान और आकर्षण को दर्शाता है।
  • मंद मुस्कान: यह भक्तों के हृदय को आनंद, शांति और अटूट भक्ति से भर देती है।

 

माँ शैलपुत्री: कुंडलिनी जागरण

माँ शैलपुत्री का जन्म पर्वतों में जीवनदायिनी नदियों और पृथ्वी के सबसे निकट हुआ। वे पृथ्वी तत्व की पूर्ण और स्थूलतम अभिव्यक्ति हैं। वे सात प्रमुख योगिक चक्रों में प्रथम मूलाधार चक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं,
और भूमि तत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस चक्र से उनकी ऊर्जा केवल ऊर्ध्वगामी हो सकती है।
इसी कारण, उनकी उपासना एक साधक की आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभिक चरण मानी जाती है। एक साधक का उद्देश्य होता है, आध्यात्मिक प्रगति की सर्वोच्च अवस्था तक पहुँचना और सत-चित-आनंद (सत्य, चैतन्य और आनंद) की दिव्य स्थिति का अनुभव करना। निस्संदेह, माँ शैलपुत्री ही सुप्त अवस्था में स्थित वह आदिशक्ति (कुंडलिनी) हैं जो हमारी रीढ़ के मूलाधार में स्थित हैं और जिन्हें हमें स्वयं के भीतर जाग्रत करना होता है।

 

माँ शैलपुत्री की आराधना के लाभ

नवदुर्गा के सभी नौ स्वरूप अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, और वे अपने भक्तों पर असीम कृपा एवं आशीर्वाद प्रदान करते हैं। चूँकि माँ शैलपुत्री का स्वरूप पृथ्वी तत्व से बहुत निकटता से जुड़ा हुआ है, इसलिए उनकी उपासना जीवन में आवश्यक सजगता और भावनात्मक संतुलन को सक्रिय करती है, जिससे संसार में सहजता से जीना संभव होता है।

🌸 वे हमें सही और गलत के बीच अंतर करने का साहस देती हैं तथा अपने लिए बोलने की शक्ति प्रदान करती हैं।
🌸 उनके मंत्रों का जप साधक को अद्भुत मानसिक स्थिरता और जीवन की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है।
🌸 वे हमें त्वरित और उचित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करती हैं, जिससे हम आस्था, सरलता और निर्मल भाव के साथ जीवन में आगे बढ़ते हैं।
🌸 वे हमें जड़ से जुड़े रहने और अपने परिवेश में सुरक्षित महसूस करने का विश्वास देती हैं।
🌸 वे हमारे भीतर यह जागरूकता बढ़ाती हैं कि हम जीवन में सफलता के लिए सही कर्मों का चुनाव कर सकें।
🌸 वे शिक्षिका के रूप में अपने भक्तों को धर्म के मार्ग पर ले जाती हैं, और रक्षिका के रूप में उन्हें हर संकट से बचाती हैं।

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