मोक्ष एवं दिव्य ज्ञान का पर्व :मोक्षदा एकादशी व गीता महोत्सव
इस ब्लॉग में आपको गीता जयंती के अवसर पर मनाई जाने वाली मोक्षदा एकादशी और गीता महोत्सव की विशेषताओं तथा महत्व के बारे में जानने को मिलेगा।
मार्गशीर्ष माह (नवंबर–दिसंबर) में आने वाली एकादशी और गीता जयंती का पावन संयोग इस दिन को अत्यंत शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण बना देता है। आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण यह तिथि ‘मोक्षदा एकादशी’ कहलाती है। यह दिन अपने पितरों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करने का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर होता है।
‘मोक्षदा’ का अर्थ है—वह जो भक्त के समस्त पापों का शुद्धीकरण करे और ‘मोक्ष’ अर्थात् मुक्ति प्रदान करे। यह व्रत मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है।
मोक्षदा एकादशी का वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण, पद्म पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है। इसे वैकुंठ एकादशी, मुक्ति एकादशी और स्वर्गवथिल एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
मोक्षदा एकादशी की कथा

पद्म पुराण के 39वें अध्याय में मोक्षदा एकादशी की कथा वर्णित है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव राजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। चम्पकनगर में वैखानस नाम के एक धर्मपरायण और कुलीन राजा रहते थे। वे अत्यंत न्यायप्रिय और बुद्धिमान शासक थे, किंतु एक स्वप्न ने उन्हें अत्यंत व्याकुल कर दिया था। स्वप्न में उन्होंने देखा कि उनके दिवंगत पिता अपने पूर्व कर्मों के कारण परलोक में कष्ट भोग रहे थे।
भारी मन से राजा वैखानस अपने राज्य के ब्राह्मणों के पास गए, उन्हें अपने मन की व्यथा बताई और उसका समाधान जानना चाहा। ब्राह्मणों ने उन्हें महान ऋषि पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर मार्गदर्शन लेने का सुझाव दिया।
दुःखी और व्याकुल राजा वैखानस त्रिकालज्ञ (वर्तमान, भूत एवं भविष्य के ज्ञाता) महर्षि पर्वत मुनि के आश्रम पहुँचे। पर्वत मुनि ने अपनी दिव्य दृष्टि से बताया कि यदि राजा मोक्षदा एकादशी का पवित्र व्रत पूर्ण श्रद्धा से करें और उसका समस्त पुण्य अपने दिवंगत पिता को समर्पित करें, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
पर्वत मुनि के निर्देशों का पालन करते हुए राजा वैखानस ने अत्यंत भक्ति, निष्ठा और मनोयोग के साथ व्रत का अनुसरण किया। श्री विष्णु और माँ लक्ष्मी की आराधना करते हुए तथा श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करते हुए उन्होंने कठिन अनुष्ठान पूर्ण किए।
राजा की सच्ची भक्ति और अटल निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनके पिता को मोक्ष प्रदान किया और वैखानस वंश को शांति व समृद्धि का आशीर्वाद दिया।
तभी से मोक्षदा एकादशी को मुक्ति और ईश्वर की कृपा प्राप्ति का विशेष दिन माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि यह एकादशी साधक तथा उसके पितरों को जन्म–मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाती है।
इस व्रत में भक्त अनाज, दालें और कुछ सब्जियों का सेवन नहीं करते। इसके स्थान पर वे फल, दुग्ध-निर्मित पदार्थ और हल्का भोजन ग्रहण करते हैं ताकि साधना पर उनका मन केंद्रित रहे। इस दिन दान-पुण्य तथा भगवान के दिव्य नामों के स्मरण और जप का विशेष महत्व है।
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी एक अत्यंत शुभ अवसर है, क्योंकि यह गीता जयंती के साथ आती है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। अतः यह दिन आध्यात्मिक प्रगति का एक अनमोल अवसर प्रदान करता है। इस दिन हम श्रीविष्णु के दिव्य नामों का स्मरण करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता की शिक्षाओं पर मनन कर सकते हैं।
गीता महोत्सव
मोक्षदा एकादशी के दिन हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भव्य गीता महोत्सव आयोजित किया जाता है।यह स्थान ज्योतिसर या ज्योतिर्ष तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी पहचान आदिशंकराचार्य ने अपनी हिमालय यात्रा के दौरान की थी
कुरुक्षेत्र के मध्य स्थित ज्योतिसर सरोवर एक अत्यंत पावन स्थान है। यहाँ दिव्य अक्षय वट स्थित है। 5,000 वर्ष पुराना यह अमर वटवृक्ष माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का साक्षी रहा है।
वार्षिक गीता महोत्सव में हर वर्ष हज़ारों भक्त सम्मिलित होते हैं और विभिन्न अनुष्ठान सम्पन्न करते हैं। वातावरण गीता पाठ, आध्यात्मिक प्रवचनों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनीयों से जीवंत हो उठता है। इन आयोजनों के माध्यम से श्रीमद्भगवद्गीता के दैनिक जीवन में महत्व को सरल रूप में समझाया जाता है। विश्वभर से आए विद्वान और भक्त इस उत्सव में सहभागी होते हैं।
कई लोग इस अवसर पर यह संकल्प भी लेते हैं कि वे नियमित रूप से श्रीमद्भगवद्गीता का कम से कम एक अध्याय अवश्य पढ़ेंगे और इसी संकल्प के साथ यह दिन आजीवन आध्यात्मिक उन्नति का प्रारंभ बन जाता है।
इस वर्ष गीता महोत्सव 15 नवंबर से 5 दिसंबर 2025 तक मनाया जाएगा।
गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी आत्म-जागृति और आत्म-चिंतन का दिवस हैं। ये हमें आंतरिक सत्य और ज्ञान की आवाज़ से गहरे स्तर पर जुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
गीता जयंती और मोक्षदा : महत्वपूर्ण जानकारी
इस वर्ष गीता जयंती सोमवार, 1 दिसंबर को मनाई जाएगी।
मोक्षदा एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2025, 09:29 PM
मोक्षदा एकादशी तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2026 7.01 PM
इस शुभ दिन पर, सद्गुण, ज्ञान और समर्पण से, आइए हम अपने जीवन में पुनः संतुलन स्थापित करें। 1 दिसंबर को साधना ऐप पर कृष्ण गायत्री मंत्र का जप करके गीता जयंती का उत्सव मनाएँ। आप 15 दिसंबर 2025 से आरंभ होने वाली विष्णु सहस्रनाम साधना में सम्मिलित होकर श्री विष्णु की दिव्य ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं।