शिव पंचाक्षरी साधना क्या है?

शिव पंचाक्षरी साधना क्या है?

इस लेख में आप भगवान शिव की पंचाक्षरी साधना के बारे में जानेंगे ।


पंचाक्षरी साधना भगवान शिव की आराधना का एक सरल, प्रभावशाली और अत्यंत शक्तिशाली माध्यम है। यह साधना “नमः शिवाय” मंत्र पर आधारित है, जिसे पंचाक्षरी मंत्र कहा जाता है। इस साधना की महिमा का सबसे प्रेरणादायक उदाहरण स्वयं माता पार्वती हैं। उन्होंने कठिन तपस्या और पंचाक्षरी मंत्र के अनवरत जप के माध्यम से ही भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया।

श्रावण माह में, माँ पार्वती ने खुले आकाश में, बिना किसी आश्रय के एक पत्थर की शिला पर बैठकर अनवरत पंचाक्षरी मंत्र "नमः शिवाय" का जप किया था। उन्होंने साधारण भोज के साथ अपनी साधना आरंभ की थी। इसके बाद उन्होंने फल एवं पत्तों का सेवन किया। अंत में उन्होंने पत्तों का सेवन भी त्याग दिया, और इसी कारण उन्हें "अपर्णा" नाम मिला। माँ पार्वती जिस मंत्र का जप कर रही थीं, उसके साथ उनका एकाकार स्थापित हो गया। उनका संपूर्ण अस्तित्व उसकी ऊर्जा में लयबद्ध हो गया। वे मंत्रमयी हो गई और यह शक्तिशाली मंत्र था "ऊँ नमः शिवाय"।


पंचाक्षरी मंत्र साधना की गौरवशाली परंपरा

शिव पुराण में महर्षि वेद व्यास ने माँ पार्वती की तपस्या का वर्णन करते हुए कहा है, "जिगया तपसा मुनीम", अर्थात् जिसने अपने तप से ऋषि-मुनियों को भी जीत लिया। माँ पार्वती की इस कठोर साधना के फलस्वरूप ही उन्हें भगवान शिव की अर्धांगिनी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

पंचाक्षरी मंत्र साधना की यही गौरवशाली परंपरा है। यह मंत्र माँ पार्वती और अनेक ऋषियों की तपस्या और आशीर्वाद से स्पंदित होता है, जिन्होंने हजारों वर्षों तक इस मंत्र की साधना के माध्यम से भगवान महादेव का आवाहन कर उन्हें प्रसन्न किया।

पंचाक्षरी मंत्र शुक्ल यजुर्वेद से लिया गया एक अत्यंत प्रसिद्ध और शक्तिशाली शिव मंत्र है। भगवान शिव की तरह ही, इस मंत्र का जप और ध्यान करना बेहद सरल है। शिव पंचाक्षरी स्तोत्र में आदि शंकराचार्य इस मंत्र की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि जो भी "न-म-शि-वाय" के इन पाँच अक्षरों का शिवलिंगम के समीप जप करता है, वह भगवान शिव के परमधाम को प्राप्त करता है और उनके साथ एकत्व के आनंद का अनुभव करता है।

भगवान शिव से एकत्व 

अपने आराध्य के गुणों का ध्यान करते हुए जब हम साधना के पथ पर अग्रसर होते हैं, तो धीरे-धीरे हम उन्हीं के गुणों को अपने भीतर आत्मसात कर लेते हैं। इसी प्रकार, जब कोई भक्त भगवान को पूर्णता और शुभता (भगवान शिव) के रूप में महिमामंडित करते हुए पंचाक्षरी मंत्र का जप करता है, तो वह भगवान शिव के साथ एकत्व की ओर अग्रसर होता है। शिव जो सत-चित-आनंद (सत्य, चेतना, आनंद) हैं। भक्त भगवान शिव की भक्ति से अपने जीवन में उसी आनंद और सत्य प्राप्त करता है। पंचाक्षरी साधना केवल मंत्र का जप नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। यह साधना आंतरिक शक्ति को जाग्रत करती है और साधक को शिवत्व के मार्ग पर ले जाती है।

 

‘मंत्र साधना’ एक पुरातन शक्तिशाली अभ्यास

साधना हमारे मन और विचारों को शुद्ध करती है। साधना के माध्यम से हम जीवन के सर्वोच्च लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। श्री ओम स्वामी अपने प्रवचन में प्रायः श्री रामचरितमानस की एक चौपाई का उल्लेख करते हैं:

"जनि आचरजु करहु मन माहीं। सुत तप तें दुर्लभ कछु नाहीं॥
तप बल तें जग सृजइ बिधाता। तप बल बिष्नु भए परित्राता॥

तपबल संभु करहिं संघारा। तप तें अगम न कछु संसारा॥"

(रामचरित मानस, 1.162.1-2)

(हे प्रिय, आश्चर्य मत करो। साधना से कुछ भी असंभव नहीं है। केवल तप के बल से ही ब्रह्मा सृजन करते हैं, विष्णु सृष्टि का पालन करते हैं, और शिव संहार करते हैं। तपस्या के बल से तीनों लोकों में कुछ भी अप्राप्य नहीं है।)  

मन को वश में करने और अपनी पूर्ण क्षमता को उजागर करने के लिए ध्यान, आसन, प्राणायाम जैसे कई माध्यम उपलब्ध हैं। हजारों वर्षों में विकसित ऐसा ही एक शक्तिशाली माध्यम है मंत्र साधना। पंचाक्षरी मंत्र साधना के द्वारा आप भगवान शिव की अनन्य कृपा अपने जीवन में प्राप्त कर सकते हैं। चलिए अब पंचाक्षरी मंत्र साधना से होने वाले लाभों के बारे में बात करते हैं।

 

पंचाक्षरी साधना मंत्र ('नमः शिवाय') के लाभ:  

-पंचाक्षरी साधना गृहस्थों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। जिनके पास भगवान की विस्तृत पूजा-अर्चना का समय नहीं है, वे पंचाक्षरी साधना कर अपने गृहस्थ जीवन में सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक गृहस्थ को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह साधना अवश्य करनी चाहिए।

- इस मंत्र का अभ्यास बेहद सरल है, लेकिन यह उतना ही शक्तिशाली है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, पंचाक्षरी मंत्र का प्रभाव त्वरित एवं अचूक होता है।

- यह पहला मंत्र है जो मानव जाति के कल्याण के लिए प्रणव से उत्पन्न हुआ है।

- यह मंत्र उन साधकों के लिए आदर्श है जो कठोर नियमों और विधियों का पालन करने में असमर्थ हैं, फिर भी आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होना चाहते हैं।

- यह मंत्र संकल्प शक्ति को मजबूत करता है और मन को दिव्यता की खोज में केंद्रित करता है।

- इस मंत्र के निरंतर जप से साधक का मन शुद्ध होता है, और आंतरिक शांति की अनुभूति होती है।


श्रावण माह भगवान शिव का आवाहन करने के लिए सर्वाधिक पावन समय है। 22 जुलाई 2025 से 11 अगस्त 2025 तक साधना ऐप पर पंचाक्षरी साधना करें और महादेव से अपना संबंध गहरा करें।

हर हर महादेव!

 

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