
उच्छिष्ट गणपति साधना: कब और कैसे?
उच्छिष्ट गणपति, भगवान गणेश का एक अत्यंत गूढ़ और शक्तिशाली स्वरूप हैं। वे क्षिप्र सिद्धि दायक (सभी सिद्धियों के शीघ्र प्रदाता) के रूप में पूजे जाते हैं। तांत्रिक साधना में, साधकों को किसी अन्य तंत्र साधना को आरंभ करने से पहले उच्छिष्ट गणपति साधना पूरी करना आवश्यक होता है। इस गणेश चतुर्थी (27 अगस्त), आपके पास साधना ऐप के माध्यम से श्री उच्छिष्ट गणपति की शक्तिशाली साधना द्वारा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है।
साधना विवरण
अवधि: 30 दिन
दिनाँक: 27 अगस्त से 25 सितम्बर 2025
आवश्यक समय: लगभग 40 मिनट (प्रतिदिन)
यह साधना कैसे करें?
- 27 अगस्त 2025 को ‘गजकर्ण’ पर स्पर्श करें। ‘साधना’ विकल्प चुनें और फिर ‘उच्छिष्ट गणपति साधना’ पर क्लिक करें।
- 30 दिनों की अवधि चुनें।
- हम अनुशंसा करते हैं कि प्रतिदिन मंत्र की 3 माला जपें, जिसमें लगभग 25 मिनट लगते हैं।
- साधना के पहले दिन, अपना उद्देश्य घोषित करते हुए एक संकल्प लें। एक इन-ऐप प्रॉम्प्ट आपका मार्गदर्शन करेगा।
साधना के नियम
- इस साधना को करने के लिए दीक्षा, अनुमति या दिव्य हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
- 12 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता है।
- यह साधना सूर्यास्त के बाद की जाती है, जब साधक ने रात्रि का भोजन कर लिया हो।
- रात्रि का भोजन करने के बाद, प्लेट में अंतिम निवाला छोड़ दें।
- अब, अपनी साधना को बिना मुँह धोए शुरू करें।
- साधना के बाद, जो अंतिम निवाला आपने रखा था, उसे बाहर (बालकनी या छत पर) सूक्ष्म जीवों के उपभोग के लिए छोड़ दें।
- उपरोक्त नियम को प्रतिदिन दोहराएँ।
- साधना आरंभ करने से पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लाल रंग के वस्त्र पहनना सर्वोत्तम होता है।
- साधना करते समय उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना उचित है।
- ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य नहीं है।
- महिलाओं के लिए मासिक धर्म में भी इस साधना को करने में कोई आपत्ति नहीं है।
- इस साधना को आरंभ करने से पूर्व नवरात्रि के समय कम से कम एक नव दुर्गा साधना को पूर्ण करने की सलाह दी जाती है।
- सात्विक शाकाहारी आहार ग्रहण करने की अनुशंसा की जाती है। प्याज़ और लहसुन के सेवन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
- वैदिक परंपरा के अनुरूप, प्रतिदिन एक छोटी मौद्रिक भेंट या दक्षिणा देने की सलाह दी जाती है। आप साधना के आरंभ में भी दक्षिणा देने का विकल्प चुन सकते हैं।
- अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में सात्विक रहने से आपकी साधना को बल मिलेगा।
ॐ गं गणपतये नमः!
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