इस लेख में आप देवी माँ के सबसे महान और शक्तिशाली स्तोत्र के बारे में जानेंगे ।
सहस्रनाम—एक शाश्वत परंपरा
कई हजारों वर्षों से अधिकाँश भारतीय घरों में सुबह की शुरुआत ‘’श्री विष्णु सहस्रनाम’’ के मधुर मंत्रोच्चार से होती है। संस्कृत में ‘सहस्र’ का अर्थ है ‘हज़ार’। इस प्रकार, सहस्रनाम वह स्तोत्र है, जो देवता या देवी के हजार नामों या दिव्य गुणों की स्तुति करता है।
कहा जाता है कि ‘’हरि अनंत, हरि कथा अनंता’’, यानी हरि, जिनका कोई पार नहीं पा सकता है, उनकी कथा भी अनंत है । इसलिए, यहाँ एक हजार की संख्या मात्र गणना नहीं है, अपितु इसका अर्थ इससे कहीं गहन है। यह परामात्मा के अनंत स्वरूप और भक्त की अनन्य भक्ति का प्रतीक है। एक भक्त अपने आराध्य की अनंत महिमा का गुणगान करने के लिए हजारों-लाखों नामों का उपयोग करना चाहता है, क्योंकि उसके ईष्टदेव में असंख्य गुण विद्यमान हैं। भक्त को अपने आराध्य का हर गुण अत्यंत प्रिय है ।
श्री ललिता सहस्रनाम—एक शक्तिशाली देवी स्तोत्र
जैसे विष्णु सहस्रनाम है, वैसे ही माँ गंगा, गायत्री, श्यामला, लक्ष्मी, काली, और सरस्वती सहित कई देवियों के सहस्रनाम भी हैं। परंतु, ‘’श्री ललिता सहस्रनाम’’ को इनमें सबसे श्रेष्ठ और प्रभावशाली माना गया है।
श्री ललिता सहस्रनाम "श्री विद्या" तंत्र का एक प्रमुख ग्रंथ है। ब्रह्मांड पुराण के ललितोपाख्यान में इसका उल्लेख मिलता है, जिसकी रचना महामुनि महर्षि वेदव्यास ने की थी। माँ के गुप्त और दिव्य नामों का यह संग्रह माँ ललिता के उपासकों के मध्य "रहस्य नाम सहस्र" के नाम से भी जाना जाता है। यह स्तोत्र वर्षों से मौखिक परंपरा का हिस्सा रहा है। सर्वप्रथम श्री विष्णु के अवतार भगवान हयग्रीव ने श्री ललिता सहस्रनाम के ज्ञान को महामुनि अगस्त्य को सौंपा।
ललिता सहस्रनाम को देवी उपासना का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, इसके पीछे कई कारण हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह अपौरुषेय है, अर्थात्, मानव रचित नहीं है। माँ ललिता की आठ वाग्देवियों या सहायक शक्तियों (वासिनी, कामेश्वरी, मोदिनी, विमला, अरुणा, जयिनी, सर्वेश्वरी, और कौलिनी) ने माँ की प्रेरणा से इसकी रचना की थी। माँ ललिता ने उन्हें यह आदेश दिया कि वे एक ऐसा दिव्य स्तोत्र तैयार करें, जिसके जप के माध्यम से भक्त माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।
इस स्तोत्र की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें प्रयुक्त माँ का हर नाम एक शक्तिशाली मंत्र है। कई नामों में बीजाक्षर (बीज मंत्र) छिपे हैं, जो इस स्तोत्र को अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं।
श्री ललिता सहस्रनाम से जुड़े रोचक तथ्य
- यह स्तोत्र शुद्ध सार है। श्री ललिता सहस्रनाम की प्रत्येक ऋचा अत्यंत सुगठित एवं प्रभावशाली ढंग से छंदबद्ध है। इसमें अन्य स्तोत्रों और सहस्रनामों में मिलने वाले अतिरिक्त शब्द (जैसे - च, वै, तु, एव आदि) का प्रयोग नहीं किया गया है।
-इस सहस्रनाम को तीन भागों में विभाजित किया गया है: पूर्व भाग जिसमें 51 ऋचाएँ हैं, मध्य भाग जिसमें 183 ऋचाएँ हैं, जिनसे देवी माँ के एक हजार नामों की उत्पत्ति हुई है, और फलश्रुति या समापन भाग, जिसमें 86 ऋचाएँ हैं जो सहस्रनाम के पाठ से होने वाले लाभों का वर्णन करती हैं।
इस स्तोत्र में देवी के नामों की रचना संस्कृत के 32 वर्णों से हुई हैं । माना जाता है कि हर वर्ण पर एक वाग्देवी (वाणी की देवी) का आधिपत्य है। संस्कृत भाषा में हर वर्ण की एक अधिष्ठात्री देवी हैं । जब भी हम किसी वर्ण का उच्चारण करते हैं, तो स्वतः ही अधिष्ठात्री देवी की आराधना भी हो जाती है। माँ ललिता इन समस्त वाग्देवियों को नियंत्रित करने वाली परम शक्ति हैं। इसलिए, जब कोई साधक श्री ललिता सहस्रनाम का जप करता है, तो उस पर न सिर्फ उस पर माँ ललिता की कृपा होती है, बल्कि उसे उन वाग्देवियों का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो इन वर्णों में निवास करती हैं।
कुंडलिनी का रहस्य उजागर करता है
श्री ललिता सहस्रनाम के श्लोकों में हमारे भीतर सुप्त पड़ी ऊर्जा, कुंडलिनी, जो माँ स्वयं है, को जागृत करने का गूढ़ रहस्य छिपा है। इस स्तोत्र की महानता एवं महत्व को समझाते हुए श्री विद्या सिद्ध ओम स्वामी जी बताते हैं कि यह स्तोत्र केवल माँ के नामों की सूची नहीं है, बल्कि इनकी रचना बहुत ही सोद्देश्यपूर्ण ढंग से की गई है।
‘वे माँ ही हैं जो पितरों तक तर्पण की आहुतियाँ ले जाती हैं, और मोक्षदायिनी हैं। माँ स्वयं विचारों की जननी हैं , श्रवणीय हैं, बुद्धि की दाता, और स्मृति हैं । जो भक्त माँ की महिमा का गुणगान करते हैं, उन्हें पुण्य, यश, और अपार धन-संपदा प्रदान करती हैं ।’
स्वामी जी यह भी बताते हैं कि श्री ललिता सहस्रनाम साधक की आध्यात्मिक प्रगति को भी दर्शाता है। वे कहते हैं, "कुण्डलिनी जागरण के साथ साधक को अपने भीतर छिपी अप्रत्याशित शक्तियों और अद्भुत क्षमताओं का बोध होता है।"
(ओम स्वामी, कुंडलिनी: ऐन अनटोल्ड स्टोरी,जाइको पब्लिकेशन, 2016,पेज नं. 167)
ललिता सहस्रनाम का ज्ञान गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से प्रदान किया जाता है। लेकिन, आपके पास आगामी नववर्ष में ललिता सहस्रनाम यज्ञ के माध्यम से इस दिव्य ज्ञान से परिचित होने का स्वर्णिम अवसर है। श्री ओम स्वामी के मार्गदर्शन में इस पवित्र यज्ञ में सम्मिलित हों और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का अनुभव करें।
3 comments
If Sadhana just wants maa Kripa, can they do this path everyday or every friday and poornima. Sometimes it’s hard to get the guru then as being human people can not do by them selves. To find a real guru in kalyug is like to find a diamond. Please guide people in a simple way
Guru charno me pranaam …
Aapka kotti koti dhanywaad … Bas aapki diksha, shiksha aur maa jagdamba ki bhakti shakti aur maa ke sanidhya ki anubhuti sabko ko sehjtaa se prapt ho …
Abhaar aapka
JAY SHREE RAM