श्री बद्रिका आश्रम में होने वाला रुद्राभिषेक क्यों विशेष है?

श्री बद्रिका आश्रम में होने वाला रुद्राभिषेक क्यों विशेष है?

इस लेख में  हम आपको श्री बद्रिका आश्रम में होने वाले  विशेष रूद्राभिषेक के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

शिवाय विष्णुरूपाय विष्णवे शिवरूपिणे ।

यथान्तरं न पश्यमि तेन तौ दिशतः शिवम् ॥

(भावार्थः  भगवान शिव विष्णु के रूप में और भगवान विष्णु शिव के रूप में हैं। दोनों में कोई भेद नहीं है, और दोनों ही शुभता प्रदान करते हैं।)

भगवान शिव और विष्णु एक ही परम ब्रह्मा (परम सत्ता) के दो भिन्न-भिन्न पहलू हैं। बस, उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर श्री बद्रिका आश्रम में भगवान शिव और श्री विष्णु के इस अद्भुत संयुक्त स्वरूप की पूजा की जाती है। 

शास्त्रों में कई बार यह उल्लेख मिलता है कि भगवान विष्णु और भगवान शिव एक-दूसरे के सबसे बड़े भक्त हैं। अनेक स्थानों पर, वे एक ही रूप में पहचाने और पूजे जाते हैं। उदाहरण के लिए, भगवान शिव स्वयं माँ पार्वती से कहते हैं:

श्री राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे। 

सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने॥ 

(भावार्थः  राम नाम, (सहस्रनाम में वर्णित) भगवान विष्णु के हजार नामों के समान ही महान है। प्रभु श्री राम नाम का ध्यान करने से मेरा मन भगवान राम की दिव्य चेतना में लीन हो जाता है, जो पारलौकिक है।)

श्री बद्रिका आश्रम में दुर्लभ रुद्राभिषेक का अनुष्ठान

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर, श्री बद्रिका आश्रम में भगवान विष्णु और भगवान शिव का दिव्य हरिहर स्वरूप जीवंत हो उठता है। इस दिन ओम स्वामी जी द्वारा उनका रुद्राभिषेक किया जाता है। श्री हरि (भगवान विष्णु) के विग्रह पर पंचामृत, हल्दी, सिंदूर और विभूति (पवित्र भस्म) के साथ पारंपरिक अभिषेक किए जाने पर, धीरे-धीरे हरिहर स्वरूप उभरने लगता है। यह अद्भुत दृश्य देखने योग्य होता है। जब अभिषेक के हर अर्पण के साथ श्री हरि का मुस्कुराता हुआ चेहरा धीरे-धीरे महायोगी शिव के स्वरूप में परिवर्तित हो जाता है।

श्री हरि का मुकुट भस्म और रुद्राक्ष की मालाओं से जटाओं में परिवर्तित हो जाता है। भक्तगण भगवान महादेव के भव्य स्वरूप को भस्म के साथ (बाईं ओर) एवं भगवान महाविष्णु के पीताम्बर अंग को (दाईं ओर) दर्शन सकते हैं।  

रुद्राभिषेक के इस अद्भुत अनुष्ठान में यह अनुभूति होती है कि भगवान के दोनों स्वरूपों में कोई अंतर नहीं है। अपनी अल्प बुद्धि के कारण, हमने ये भेद और भगवान के बारे में एक सीमित अवधारणा निर्मित की है।  

"एकं सत् विप्राः बहुधा वदन्ति"  

(सत्य एक है, लेकिन बुद्धिमान लोग इसे विभिन्न नामों से पुकारते हैं या भिन्न रूपों में देखते हैं।)  

यह विचार सनातन धर्म की नींव है।  

हमारे साथ इस पावन अवसर में सम्मिलित हों!

आइए, महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर, श्री बद्रिका आश्रम में होने वाले इस रूद्राभिषेक के दौरान,  भगवान के दिव्य हरिहर स्वरूप के साक्षी बनें और उनकी पूजा करें। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण साधना ऐप पर 26 फरवरी, 2025 को शाम 6.30 बजे (IST) किया जाएगा 

सबसे विशेष बात यह है कि आप ऐप पर ठीक वैसे ही रूद्राभिषेक कर पाएँगे जैसे स्वामी जी आश्रम में करेंगे। इस अद्भुत अवसर का लाभ अवश्य उठाएँ। श्री हरि और भगवान शिव के आशीर्वाद को जीवन में आमंत्रित करें। 

Back to blog

Leave a comment

Please note, comments need to be approved before they are published.

सिद्धों का प्रामाणिक ज्ञान

अब हिमालयी सिद्ध ओम स्वामी के द्वारा आपके लिए सुलभ किया गया