
यदि मुझे ललिता सहस्रनाम का जप करना नहीं आता है, तो भी क्या मैं यज्ञ कर सकता/सकती हूँ?
यदि आपके मन में यह प्रश्न है कि क्या आप ललिता सहस्रनाम साधना में सम्मिलित हो सकते हैं, यदि आपको माँ के हजार नाम याद नहीं हैं, तो इस प्रश्न का उत्तर आपको इस ब्लॉग में मिलेगा।
‘’कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं।’’
यह पारंपरिक भजन भक्ति का वास्तविक अर्थ बताता है। यदि आप अपने आराध्य को सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ पुकारते हैं, तो निश्चित ही वह अपने भक्त पर प्रेम लुटाने के लिए चले आते हैं। यहाँ बात भले ही संत मीराबाई और भगवान श्री कृष्ण की हो रही हो, लेकिन किसी भी देवी-देवता का सिर्फ श्रद्धापूर्वक स्मरण करके आप स्वयं को उनके समीप पा सकते हैं।
प्रेमभाव के साथ करें माँ की आराधना
क्या एक माँ अपने बच्चे की बड़बड़ाहट और रोने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देती? बच्चा यह नहीं जानता कि अपनी माँ को कैसे पुकारना है, फिर भी माँ उसकी बात समझती है और प्रेमपूर्वक उत्तर देती है। यही बात ललिता सहस्रनाम पर भी लागू होती है।
तो क्या जप और यज्ञ करने के लिए माँ ललिता के सहस्र नाम सीखना आवश्यक है? उत्तर है—नहीं। इस साधना के लिए केवल भक्ति और श्रद्धा ही आवश्यक हैं।
विशेषज्ञ मार्गदर्शन का लाभ उठाएँ
मार्गदर्शित जप
साधना ऐप पर आप ललिता सहस्रनाम को सुनकर और ट्रांसक्रिप्शन(प्रतिलेखन) का अनुसरण करते हुए जप कर सकते हैं। यदि आपको स्तोत्रम् पहले से याद हैं, तो आनंदपूर्वक इसके साथ जप करें।
मार्गदर्शित यज्ञ
आप यह यज्ञ श्री ओम स्वामी जी की मार्गदर्शन में करेंगे। स्वामी जी ने अपने जीवन में अनेक देवी साधनाएँ की हैं और उन्हें देवी माँ ने साक्षात दर्शन दिए हैं। माँ उनके जीवन का आधार और सजीव चेतना हैं इसलिए स्वामी जी के साथ देवी का कोई भी अनुष्ठान करना बेहद प्रभावशाली और लाभकारी है।
इस बात को श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन की एक घटना से समझा जा सकता है। एक बार, किसी ने श्री रामकृष्ण परमहंस से गुरु के महत्व के बारे में प्रश्न किया। श्री रामकृष्ण ने नदी में जा रही एक छोटी नाव की ओर इशारा करते हुए कहा, "क्या तुम वह नाव देख रहे हो? वह अकेले ही नदी पार कर सकती है, लेकिन इसमें बहुत समय लगेगा। अब सोचो, अगर वह नाव एक स्टीमबोट से बंधी हो, तो वह कितनी तेज़ी से नदी के किनारे पहुँच जाएगी।" गुरु की भूमिका स्टीमबोट की तरह होती है।
उसी प्रकार, जब आप किसी सिद्ध पुरुष के साथ कोई साधना या अनुष्ठान करते हैं, तो उनके तपोबल के कारण वह अधिक प्रभावशाली बन जाता है। स्वामी जी के साथ ललिता सहस्रनाम का यज्ञ करते समय, देवी के सहस्र नामों को ध्यानपूर्वक सुनें और पूरे भक्ति भाव से आहुति दें।
मन में करें माँ के स्वरूप की कल्पना
यदि आप देवी माँ के सहस्र नामों को नहीं जानते, तब भी जप और यज्ञ करते समय माँ ललिता के सुंदर और दिव्य रूप की कल्पना करें। कल्पना कीजिए कि वे आपके सामने सबसे महिमामय रूप में विराजमान हैं। इसके माध्यम से आप उन्हें अपने निकट अनुभव करते हैं और आपका संबंध और गहरा हो जाता है।
आप ओम स्वामी जी का निम्नलिखित वीडियो भी देख सकते हैं, जिसमें वे ललिता सहस्रनाम के पहले कुछ श्लोकों की व्याख्या करते हैं, जो माँ ललिता के रूप की कल्पना में सहायक है।
https://www.youtube.com/watch?v=YUWypiBs6xk
सनातन धर्म में कहा गया है कि ईश्वर केवल हमारे भक्ति भाव को देखते हैं। और वास्तव में, भक्ति ही एकमात्र भेंट है जो हम इस सृष्टि को संजोने वाली परम ऊर्जा को अर्पित कर सकते हैं। जैसे-जैसे आप माँ ललिता के सुंदर नामों के साथ समय बिताते हैं, आप स्वाभाविक रूप से भविष्य में सहस्रनाम और उसके अर्थ को सीखने की इच्छा अनुभव कर सकते हैं।
फिलहाल, आप पूर्ण समर्पण और निर्भीक होकर ललिता सहस्रनाम साधना (26 सितम्बर 2025 – 15 नवम्बर 2025) में भाग ले सकते हैं और देवी माँ की दिव्य कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यदि पूर्ण साधना करना संभव न हो, तो कोई समस्या नहीं। आप ललिता पंचमी पर ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् का जप कर सकते हैं या उसका श्रवण कर सकते हैं।
आज ही साधना ऐप पर साइन अप करें!
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