रुद्री साधना: कब और कैसे?

रुद्री साधना: कब और कैसे?

श्रीकृष्ण को भगवान शिव का परम भक्त और सिद्ध साधक माना जाता है। भगवान रुद्र उनके इष्ट देवता हैं। महाभारत के अनेक प्रसंगों में वर्णन मिलता है कि स्वयं श्रीकृष्ण ने भगवान शिव के रुद्र स्वरूप का आवाहन कर शिव साधना की। रोचक तथ्य यह है कि श्री रुद्रम एकमात्र स्तोत्र है जिसे भगवान शिव स्वयं स्वीकार और स्वीकृत करते हैं, जो इसे अत्यंत शक्तिशाली बनाता है।आप भी रुद्री साधना के माध्यम से भगवान शिव के इस अद्भुत स्वरूप का आवाहन कर सकते हैं।  


रुद्री साधना विवरण  

रुद्री साधना के दो भाग हैं—सांध्य अनुष्ठान (अभिषेक एवं जप) और प्रातः यज्ञ।

दिनाँक- 12 नवंबर 2025 से 17 नवंबर 2025

अवधि- 6 दिन


सांध्य अनुष्ठान

रुद्राभिषेकम् - लगभग 23 मिनट

दशाक्षरी मंत्र जप 108 बार ( 1 माला) - लगभग 8 मिनट

प्रातः यज्ञ – लगभग 16 मिनट


आवश्यक तैयारी:  

  • किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं है।  
  • केवल भक्तिभाव के साथ श्री रूद्रम के मंत्रों का श्वण करें और श्रद्धापूर्वक भगवान शिव का अभिषेक करें।  

सांध्य अनुष्ठान: 12 नवंबर, 2025 से आरंभ।

  1. सांध्य अनुष्ठान करने का आदर्श समय सायंकाल, सूर्यास्त के बाद (प्रदोष काल) है।
  2. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।श्वेत रंग के वस्त्र धारण करना सर्वोत्तम है।
  3. अपने आसन को ग्रे (सलेटी) कपड़े से ढकें और सुखासन में बैठें।
  4. ऐप में ‘वृषभ’ पर स्पर्श करें, यह आपको रुद्री साधना पर ले जाएगा।
  5. ‘सांध्य अनुष्ठान’ पर स्पर्श कर रुद्राभिषेकम् करें और उसके पश्चात 1 माला (108 बार) दशाक्षरी मंत्र का जप करें।

    प्रातः यज्ञ: 12 नवंबर, 2025 से आरंभ।

  1. यज्ञ करने का आदर्श समय प्रातःकाल, सूर्योदय से पूर्व या बाद में है।
  2. इसके बाद ‘प्रातः यज्ञ’ पर स्पर्श कर, यज्ञ आरंभ करें।
  3. ऊपर दिए गए सांध्य अनुष्ठान सेक्शन के द्वितीय, तृतीय, और चर्तुथ चरण को दोहराएँ।
  4. ऐप पर दर्शाए गए निर्देशों का पालन करें और अपनी साधना का उद्देश्य घोषित करते हुए संकल्प लें।

नोटः  साधना के अंतिम दिन (17 नवंबर) आपको नंदी जी के कान में अपनी मनोकामना कहने का अद्वितीय अवसर प्राप्त होगा।

साधना के नियम

  1.  इस साधना को करने के लिए किसी दीक्षा, अनुमति, या किसी अन्य हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
  2. 12 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इसे कर सकता हैं।
  3. साधना करते समय पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करना सबसे उपयुक्त होता है।
  4. सात्विक शाकाहारी आहार ग्रहण करने की अनुशंसा की जाती है।
  5. मांसाहार, अंडे और समुद्री भोजन सख्त वर्जित हैं। डेयरी उत्पादों का सेवन कर सकते हैं, लेकिन बेकरी उत्पाद और   पशु-तत्वयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। 
  6. साधना के अंतराल में ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य नहीं है।
  7. महिलाओं के लिए मासिक धर्म में भी इस साधना को करने में कोई आपत्ति नहीं है। 
  8.  वैदिक परंपरा के अनुरूप, प्रतिदिन एक छोटी मौद्रिक भेंट या दक्षिणा देने की सलाह दी जाती है। आप साधना के आरंभ में भी दक्षिणा देने का विकल्प चुन सकते हैं।  
  9. अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में सात्विक रहने से आपकी साधना को बल मिलेगा।

साधना से संभव है!

Written by: Team Sadhana
हमारा मूल उद्देश्य सनातन धर्म के गहन ज्ञान और अनुपम सौंदर्य को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाना है। हमें सनातनी होने पर गर्व है, और इसकी शिक्षाओं तथा परंपराओं का प्रचार-प्रसार करना ही हमारी साधना है। हमारा प्रयास है कि वैदिक धर्म और शास्त्रों की गूढ़ शिक्षाएँ आमजन तक सरल, सहज और रोचक ढंग से प्रस्तुत की जाएँ, ताकि अधिकाधिक लोग इससे लाभान्वित होकर अपने जीवन में सनातन धर्म के मूल्यों को आत्मसात कर सकें।
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