
ललिता सहस्रनाम के अनेक लाभ
इस लेख में आप ललिता सहस्रनाम के भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रभावों के बारे में जानेंगे।
रचनात्मकता के द्वार खोले
देवी साधना में ललिता सहस्रनाम का विशेष स्थान है। इस स्तोत्रम् की ऋचाओं में सर्वप्रथम चक्रों और कुंडलिनी शक्ति का विवरण मिलता है। कुंडलिनी साधना की प्रथम दीक्षा महर्षि वेदव्यास को अपने पिता ऋषि पराशर से प्राप्त हुई। वेद व्यास ने बारह वर्ष तक जगत माता के साकार रूप पर अपना ध्यान केंद्रित किया, और फिर अगले बारह वर्ष देवी को कुंडलिनी के रूप में जागृत किया।
जब ग्रंथियों और चक्रों को भेदते हुए देवी उनके भीतर जागृत हुईं, तो महर्षि वेद व्यास ज्ञान और प्रकाश से संपन्न हो गए। ज्ञान के सभी पक्षों को समाहित करते हुए उन्होंने अठारह पुराणों और महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की। इस बात से माँ ललिताम्बिका और ललिता सहस्रनाम की महिमा को समझा जा सकता है। ललिता सहस्रनाम से जीवन में भौतिक संपन्नता आती है, और आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।
दिव्य दर्शन के लिए माँ के पावन नाम
ललिता सहस्रनाम को साधारण भक्ति ग्रंथों से अधिक उच्च स्थान प्राप्त है। इसका कारण यह है कि इसकी रचना स्वयं माँ के आदेश पर वाग्देवियों ने की थी। माँ ललिता का प्रत्येक नाम उनकी विशेष शक्तियों और गुणों की स्तुति करता है।
-ललिता सहस्रनाम के नाम देवी के सौंदर्य, उनकी ऊर्जा, शक्ति, महिमा और करूणा का विस्तार से चित्रण करते हैं। यह साधक को माँ के स्पष्ट और जीवंत स्वरूप की कल्पना करने में सहायक होता है और वे माँ की दिव्य उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।
ललिता सहस्रनाम के अन्य लाभ
- श्री ओम स्वामी ने श्री विद्या विषय पर चर्चा करते हुए उल्लेख किया है कि ललिता सहस्रनाम में भगवान हयग्रीव के माध्यम से देवी माँ ने बताया कि वे कौन हैं। स्वामी जी कहते हैं कि उनकी व्यक्तिगत देवी साधना का मूल श्री यंत्र, ललिता सहस्रनाम, और पंचदशी मंत्र थे, जो कि श्री विद्या के पथ पर अग्रसर होने के लिए पर्याप्त थे। केवल इन तीनों (श्री यंत्र, ललिता सहस्रनाम, और पंचदशी मंत्र) की सतत साधना से उन्हें देवी दर्शन हुए।
ललिता सहस्रनाम में देवी के किसी भी नाम की पुनरावृत्ति नहीं है, जो इसे विशेष बनाता है। हर नाम एक मंत्र है, जिसके जप से साधक के मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं।
- ललिता सहस्रनाम के नियमित जप से मानसिक और भावनात्मक स्थिति में सुधार होता है। माँ के नामों में निहित ऊर्जा साधक को भावनात्मक स्थिरता प्रदान करती है। उदासी और चिंता जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- ललिता सहस्रनाम के प्रभाव से साधक के मन में नवीन विचार जन्म लेते हैं, जिससे उसकी रचनात्मकतामें वृद्धि होती है। साधक नवीन कार्यों को करने के लिए स्वयं को प्रेरित एवं ऊर्जावान अनुभव करता है।
- ललिता सहस्रनाम साधक के मन को शुद्ध करता है। उचित मार्गदर्शन और सतत प्रयासों के साथ कुंडलिनी जागृत करने में सहयोगी होता है। इसकी सहायता से साधक चक्रों को जागृत कर आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
ललिता सहस्रनाम साधना —एक दुर्लभ अवसर!
आगामी ललिता पंचमी (26 सितम्बर 2025) माँ ललिता त्रिपुरसुंदरी का सहस्र शक्तिशाली नामों से आवाहन करने का अत्यंत शुभ अवसर है। माँ अपने भक्तों को समृद्धि, आंतरिक शांति और आनंद का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
इस साधना से जुड़ें और माँ ललिताम्बिका की दिव्य कृपा प्राप्त करें। यदि पूर्ण साधना करना संभव न हो, तो कोई समस्या नहीं। आप ललिता पंचमी पर ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् का जप कर सकते हैं या उसका श्रवण कर सकते हैं।
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श्री मात्रे नमः!
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