श्री ललिता सहस्रनाम यज्ञ कब और कैसे करें?

श्री ललिता सहस्रनाम यज्ञ कब और कैसे करें?

श्रीमद्भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने तीन महत्वपूर्ण कर्मों पर बल दिया है: यज्ञ, दान, और तप। इन्हें निरंतर करने से हमारा मन शुद्ध होता है। ये हमारी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं। यज्ञ, दान, और तप, सनातन धर्म की आधारशिला हैं, और हमें इन्हें अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए।

आगामी नववर्ष में आध्यात्मिक उन्नति के पथ पर अग्रसर हों। वर्ष 2025 का शुभारंभ श्री ललिता सहस्रनाम के पवित्र यज्ञ में सम्मिलित होकर करें। श्री विद्या सिद्ध श्री ओम स्वामी जी के मार्गदर्शन में आप साधना ऐप पर ललिता सहस्रनाम यज्ञ में भाग ले सकते हैं।

यज्ञ विवरण

दिनाँक और अवधि: ललिता सहस्रनाम यज्ञ आपके लिए दो दिनों तक उपलब्ध रहेगा : 1 जनवरी 2025 से 2 जनवरी 2025 (आपके टाइमजोन के अनुसार) इस अवधि में आप कभी भी अपनी सुविधा अनुसार यज्ञ कर सकते हैं।

आवश्यक तैयारी:
किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं है। 

माँ के दिव्य स्वरूप का ध्यान करें, श्रद्धापूर्वक मंत्रों को सुनें और भक्ति भाव के साथ आहुति दें।

समयावधि: 1 घंटा 17 मिनट

यज्ञ करने की विधि:

  1. यज्ञ आरंभ करने के लिए अपने द्वारा चुने हुए समय ( 1  जनवरी से 2 जनवरी के बीच) ‘शेर’ आइकॉन पर स्पर्श करें।
  2. स्वामी जी के निर्देशों का पालन करते हुए स्क्रीन पर उपलब्ध आवश्यक सामग्री पर स्पर्श करें।
  3. आप किसी भी समय अतिरिक्त समिधा या घी अर्पित कर सकते हैं।

ध्यान रखने योग्य बातें:

  1. इस यज्ञ को करने के लिए किसी दीक्षा, अनुमति, या किसी अन्य हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
  2. आठ वर्ष से अधिक आयु के स्त्री या पुरुष इसे कर सकते हैं।
  3. इस यज्ञ को करने का आदर्श समय प्रातःकाल या शाम 4.00 बजे के बाद का है। आप अपनी सुविधा अनुसार  1 जनवरी से 2 जनवरी के बीच कोई भी उपयुक्त समय भी चुन सकते हैं।
  4. इस यज्ञ के लिए श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्रम् याद होना आवश्यक नहीं है।
  5. महिलाओं के लिए मासिक धर्म में भी इस यज्ञ को करने में कोई आपत्ति नहीं है।
  6. शौच और स्वच्छता के नियमों का पालन करें; स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर यज्ञ करें।
  7. देवी यज्ञ के लिए लाल रंग का वस्त्र धारण करना सर्वोत्तम माना जाता है, लेकिन आप किसी भी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं।
  8. यज्ञ के लिए आसन पर सुखासन में बैठें। आसन पर लाल वस्त्र बिछाएं। कंबल का आसन सबसे उपयुक्त माना जाता है।
  9. यज्ञ या किसी भी अनुष्ठान को बीच में न त्यागें जब तक कोई अति आवश्यक कारण न हो।
  10. वैदिक परंपरा के अनुरूप, एक छोटी मौद्रिक भेंट या दक्षिणा देने की सलाह दी जाती है। आप यज्ञ के आरंभ में भी दक्षिणा देने का विकल्प चुन सकते हैं।
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ललिता सहस्रनाम यज्ञ करें

ओम स्वामी के साथ

दिनाँक: 1 जनवरी '25

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सिद्धों का प्रामाणिक ज्ञान

अब हिमालयी सिद्ध ओम स्वामी के द्वारा आपके लिए सुलभ किया गया