
उपनिषद – सनातन धर्म का आध्यात्मिक आधार
उपनिषद वेदों के अंतिम भाग हैं, इसलिए इन्हें 'वेदांत' कहा जाता है, जो वेदों की अंतिम दार्शनिक शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें वेदों का सार निहित होता है। उपनिषदों का मुख्य विषय सत्य की प्रकृति और उसकी प्राप्ति के मार्गों की दार्शनिक खोज है। वर्तमान में हमारे पास लगभग 108 उपनिषद उपलब्ध हैं, हालांकि प्राचीन काल में इनकी संख्या कहीं अधिक थी। इनमें से 10 उपनिषदों पर आदि शंकराचार्य ने भाष्य लिखे थे, जिन्हें अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वे हैं: ईशावास्योपनिषद, केनोपनिषद, प्रश्नोपनिषद, कठोपनिषद्,मुण्डकोपनिषद,माण्डूक्योपनिषद, तैत्तिरीयोपनिषद, ऐतरेयोपनिषद, छान्दोग्योपनिषद,बृहदायरण्यकोपनिषद।
क्या आप जानते हैं? आपके द्वारा प्रतिदिन उच्चारित किए जाने वाले कुछ प्रसिद्ध मंत्र उपनिषदों से ही लिए गए हैं।
‘ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम्’ — ईशावास्य उपनिषद से।
‘असतो मा सद्गमय...’ — बृहदारण्यक उपनिषद से।
वेद और उपनिषद केवल प्राचीन ग्रंथ नहीं हैं — ये सनातन ज्ञान के स्रोत हैं, जो हमें स्वयं को और इस संसार को समझने में सहायता करते हैं। आज भी ये हमें शांति, उद्देश्य और गहन अर्थ से परिपूर्ण जीवन की ओर मार्गदर्शन करते हैं।
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